लद्दाख में किस बात को लेकर हो रहा है हंगामा, सड़कों पर क्यों उतरे लोग, क्या है उनकी मांग?
महत्वपूर्ण बिंदु :-Ladakh protest : लद्दाख विरोध क्यों कर रहा है? - लद्दाख में 'फुंगसूक वांगडू' ने बढ़ाई मोदी सरकार की टेंशन, जानें सोनम वांगचुक की क्या मांगे
पिछले महीने लद्दाख में लगभग 30000 लोगों ने इकट्ठे होकर प्रोटेस्ट किया। पूरे लद्दाख के लगभग 10% से अधिक लोग वहां पर मौजूद थे। अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे। 6 मार्च को जब बातचीत के बाद भी सरकार ने लोगों की बात नहीं सुनी तो फेमस एजुकेटर, इनोवेटर और एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने फैसला किया कि वह एक इंडेफिनिट फास्ट (अनशन) पर बैठेंगे। 21 दिन का अनशन जो एक आमरण अनशन बन सकता है।
सोच कर देखिए अगर किसी राज्य की 10% से अधिक जनसंख्या सड़कों पर आ जाए तो यह कितनी बड़ी खबर होगी। लेकिन जिस तरह से यह खबर को दबाया जा रहा है न्यूज़ चैनलों के द्वारा यह बहुत ही शौकीन खबर है। प्रोटेस्ट करने वालों की आखिर डिमांड क्या है? आखिर क्यों लद्दाख में लोग सकड़ो पर उतर गए हैं सरकार का विरोध करने के लिए।
आख़िर कौन हैं सोनम वांगचुक क्यों बैठे है आमरण अनशन पर
सोनम वांगचुक को अगर आप नहीं जानते तो बताना बनता है कि यह वही इंसान है। जिनसे एक्सपायर होकर 3 ईडियट्स फिल्म में रेंचो का कैरेक्टर बनाया गया था। 2021 में इंडियन आर्मी के लिए सोनम वांगचुक ने एनवायरमेंट फ्रेंडली सोलर हीटेड टेंट बनाए थे। जिसकी मदद से लद्दाख में कड़कती ठंड में भी हमारे इंडियन आर्मी को रहने के लिए कंफर्टेबल जगह मिल पाई।इसके अलावा सोनम वांगचुक लद्दाख में कई सारे कार्बन न्यूट्रल सोलर बिल्डिंग को भी बनाने का काम किया है। लद्दाख में इंटरनेट की समस्या थी इन्होंने Li-Fi के जरिए लद्दाख में इंटरनेट की सुविधा लोग को प्रदान करवाया। यही कारण है कि इन्हें कई सारे अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।
तो आज ये जो सोनम वांगच्चू अनशन पर बैठे हैं तो कुछ तो सीरियस प्रॉब्लम होगी। प्रॉब्लम है लद्दाख के डेमोक्रेसी की, लद्दाख के पर्यावरण की, लद्दाख के लोगों के राइट्स की। यहां पर लद्दाख के लोगों की चार डिमांड है। पहली की लद्दाख को कॉन्स्टिट्यूशन के सिक्स शेड्यूल में डाला जाए। दूसरा लद्दाख को Full - Statehood दिया जाए। तीसरा लद्दाख की तरफ से दो MP दिए जाएं। और चौथा लद्दाख में government जॉब के लिए एक पब्लिक सर्विस कमीशन बनाया जाए।
अब से थोड़ा विस्तार से समझते हैं कि सिक्स शेड्यूल क्या है।
6th शेड्यूल संविधान का वह हिस्सा है जो आदिवासी लोगों को प्रोटेक्ट करता है। इसके अनुसार आदिवासी एरिया में डेमोक्रेसी को बढ़ावा देने के लिए लोग अपने खुद के ऑटोनॉमस डिस्टिक काउंसिल और ऑटोनॉमस रीजनल काउंसिल बना सकते हैं। बेसिकली कहें तो एक यह एक इलेक्टेड बॉडीज है। जिसके पास पावर होती है आदिवासी एरिया को एडमिनिस्ट्रेशन करने की। लोकल लेवल पर आदिवासी लोग अपनी जमीन को लेकर, अपने जंगलों की लेकर तथा अपने सोशल कलर्स को लेकर खुद नियम बना सके। आज के दिन सिक्स शेड्यूल असम मेघालय त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी जगहों पर लागू किया गया है।
सन 2019 में जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाया गया लद्दाख और जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। जम्मू कश्मीर की बात करें तो जम्मू कश्मीर की अपनी विधानसभा है। अपना हाईकोर्ट वहां के लोग अपनी समस्यायों को विधानसभा में रख सकते हैं। 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर को अधिक प्रायोरिटी मिली वही लद्दाख की बात करें तो वहां पर विकास के नाम पर कुछ नहीं किया गया। लद्दाख में स्टेट लेवल पर कोई विधानसभा नहीं है, जिसमे वहां के लोग अपनी समस्या बता सके। अपनी बातों को रख सकें। जबकी केंद्र लेवल पर लद्दाख में लोकसभा की सिर्फ एक सीट मौजूद है और राज्यसभा में एक भी नहीं है।
आज के दिन लद्दाख में डेमोक्रेसी के नाम पर है क्या। जरा सोच कर देखिए। 2019 में जब से आर्टिकल 370 हटाया गया था लद्दाख को अलग UT बना दिया गया और जम्मू कश्मीर को अलग UT बना दिया गया। लोगों को 370 हटाने से कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन उसके साथ साथ लोगों के साथ जो सरकार ने किया उससे दिक्कत थी। जम्मू कश्मीर को तो अपनी विधानसभा मिल गई। लेकिन लद्दाख का तो वह हक भी छीन लिया गया।
2019 से पहले जब जम्मू कश्मीर पूर्ण राज्य हुआ करता था तो लद्दाख की तरफ़ से चार MLA हुआ करते थे। लेकिन आज के दिन यह नंबर जीरो बन गया है। स्टेट लेवल पर कुछ है ही नहीं जिसे आप वोट देकर चुन सको और अपनी समस्याएं सरकार को बता सको। उसके ऊपर के लेवल पर लद्दाख के लोग सिर्फ लोकसभा में वोट डाल सकते हैं। लेकिन वहां पर भी उन्हें एक MP दिया गया है। यही कारण है इन सारे विरोध के पीछे की हमें लोकल लेवल पर सिक्स शेड्यूल में इंक्लूड करो। नहीं तो हमें अपनी लेजिसलेटिव असेंबली दो और लोकसभा में दो MP कम से कम होने चाहिए हमारे।
नहीं तो यह डेमोक्रेसी के नाम पर क्या नाटक चल रहा है।
दोस्तों आपको बता दे कि आज से चार साल पहले बीजेपी ने भी इस बात से एग्री किया था। बीजेपी ने खुद डिमांड उठाई थी कि लद्दाख को सिक्स शेड्यूल में डाला जाएगा आखिर क्या कारण हो सकता है कि बीजेपी अब इस डिमांड को पूरा करना नहीं चाहती है।
सितंबर 2019 में नेशनल कमिशन फॉर शेड्यूल्ड ट्राइब ने कोशिश किया था लद्दाख को सिक्स शेड्यूल में रखने की। लेकिन सरकार ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया।
सितंबर 2020 में लद्दाख के लोगों ने पहली बार अपनी डिमांड सरकार के सामने रखी और विरोध प्रदर्शन किया। 2020 में इलेक्शन होनी थी लद्दाख में और इलेक्शन से पहले अमित शाह ने खुद वादा किया था। की इलेक्शन के 15 दिन बाद वह इस डिमांड को पूरा करेंगे।
इसको देखकर प्रोटेस्ट को रोक दिया गया और बीजेपी ने इस इलेक्शन को 15 सीटों से जीत लिया। लेकिन उसके बाद फिर कोई एक्शन नहीं लिया गया। दिसंबर 2021 और नवंबर 2022 में दो और प्रोटेक्ट देखने को मिले। बीच में इसे लेकर सरकार से काफी बातचीत हुई लेकिन बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में लिखने के बाद भी इस डिमांड को मना करती रही। यही कारण है कि आज हम यह इंडेफिनिट फास्ट देख रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि मोदी सरकार को आखिर दिक्कत क्या है इस डिमांड को पूरी करने में।
इसका जवाब है कि अगर लद्दाख को सिक्स शेड्यूल में जोड़ कर दिया गया। तो सरकार को उतनी पावर नहीं रह जाएगी लद्दाख की जमीन के ऊपर इसका मतलब लद्दाख की जमीन को, लद्दाख के जंगलों को कोई भी कंपनी या सरकार किसी भी उद्देश्य से जंगलों की प्रकृति को नष्ट नहीं कर सकती है। खनन नहीं कर सकती है।
लद्दाख के लोग और सोनम वांगचुक नहीं चाहते हैं कि कंपनियों के लिए लद्दाख को ओपन किया जाए। ऐसा करना वहां के लोगों से न केवल अधिकार छीनना होगा बल्कि पर्यावरण पर भी बहुत खतरनाक असर होगा।
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लद्दाख बहुत ही सुंदर और इकोलॉजी के लिए बहुत सेंसिटिविटी हिस्सा है देश का। यहां के पहाड़, यहां की वादियां इतनी अनोखी है जो दुनिया में और कहीं नहीं है। यहां के झीलों का पानी इतना क्रिस्टल इतना स्वच्छ है कि आपको देखकर यकीन नहीं होगा कि इतनी सफाई भी कहीं हो सकती है। इंडियन का एक कर्तव्य होना चाहिए लद्दाख जैसी एनवायरमेंट और कल्चरल डायवर्स प्लेस को बचाए रखना। ऐसी जगह हमारे देश के अनमोल रतन है। लेकिन हमारी सरकार आज के दिन इन अनमोल रतन को किस तरीके से ट्रीट कर रही है। उसे देखकर सरकार की नियत के बारे में बहुत कुछ पता चलता है।